वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी....
ये दौलत भी ले लो,
ये शौहरत भी ले लो,
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी,
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन,
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी....
मोहल्ले की सबसे पुरानी निशानी,
वो बुढ़िया जिसे बच्चे कहते थे नानी,
वो नानी की बातों में परियों का डेरा,
वो चहरे की झुरियों में सदियों का फेरा,
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई,
वो छोटी सी रातें वो लम्बी कहानी...
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी...
कड़ी धूप में अपने घर से निकलना,
वो चिडिया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना,
वो गुडिया की शादी पे लड़ना झगड़ना,
वो झूलों से गिरना वो गिर के संभलना,
वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफे,
वो टूटी हुयी चूडियों की निशानी...
वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी...
............................अखिलेश्वर दुबे
धन्यवाद अखिलेश्वर दुबे जी, ब्लॉग के माध्यम से सुन्दर प्रयास है आपका, इसके रचनाकार शायद कोई दूसरे हैं संभव हो तो सुधार कर लेवें.
ReplyDeleteSahi kahaa sir ji aapne , maine ye sirf data save karne keliye rkhaa hai, galati se naam niche likh diyaa,
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