Wednesday, June 22, 2011

वो बारिश की बूंदें..!

वो बारिश की बूंदें॥!

पत्तों की गोद में बैठा वो बूंद
टकटकी लगाए आसमां की ओर
न जाने किन ख्यालों में खोया था
पत्तों के सिरहाने पे सिर टिकाए
तारों के बीच कुछ ढूंढ़ रहा था !!!

आंखों में नमी और दिल में शायद
कुछ टीस रहा हो
मैंने यूं ही पूछ डाला उससे
आज गुमसुम-से क्यूं हो ?
लड़खड़ाती आवाज में उसने कहा
बादलों ने हवाओं से दोस्ती कर ली है !!!

मैंने पूछा क्या फर्क पड़ता है ?
उसने कहा
सूखती जमीं पे मेरा बरसना
तन्हाई की इक रात में
बाहों में सजना
कोई आके भला मुझसे भी पूछे
क्यूं दरख्तों की आड़ में
रह-रहकर सिसकना !!!

तबस्सुम की पलकों पे उजली चादर ओढे़
जब आसमां ने ज़मीं से सवाल किया कि
सौंधी खुशबू को किसने जन्म दिया ?
जर्रे-जर्रे से आवाज आई
वो बारिश की बूंदें……!

........................................अखिलेश्वर दुबे

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