Wednesday, November 7, 2018

बिच्छी झारने का मंत्र

ॐ बिच्छी बिच्छी तरनी जात छोटी बड़ी अठारह जात छः काली छः पीली छः रोवानी बलिहार हार पोर पोर बिच्छी उतरै अँगुरी के पोर नीलकंठ मोही शिव शंकर सत्य सहित बिच्छी झरि परै दोहाई लोना चमईनी की।

जहर जब तक उतर न जाये तब तक झारते रहो

और दीवाली और सूर्य  एवं चंद्र ग्रहण पर जगा ले 7, 11, 108 या 1008 बार पैड कर।

नजर झारने का मंत्र

ॐ कला काली महाकाली मसान काली माया का पिंड नौ दिया नौ बाती टोनही का टोना मारती आपन गुण गावती आदि वाचा छोड़ परमेश्वरी इन्द्र के ताड़े ताँबे की टोकरी रोग दोस भूत को झारो जय कामरु कामाख्या भगवती की दुहाई।

इतना पढ़ने के बाद विभूति मार दो
7 बार या 11 बार फूंक मारने है।

और दीवाली और सूर्य  एवं चंद्र ग्रहण पर जगा ले 7, 11, 108 या 1008 बार पैड कर।