ॐ बिच्छी बिच्छी तरनी जात छोटी बड़ी अठारह जात छः काली छः पीली छः रोवानी बलिहार हार पोर पोर बिच्छी उतरै अँगुरी के पोर नीलकंठ मोही शिव शंकर सत्य सहित बिच्छी झरि परै दोहाई लोना चमईनी की।
जहर जब तक उतर न जाये तब तक झारते रहो
और दीवाली और सूर्य एवं चंद्र ग्रहण पर जगा ले 7, 11, 108 या 1008 बार पैड कर।