Monday, July 25, 2016

भारत का नया गीत


भारत का नया गीत

 

आओ बच्चों तुम्हे दिखायें,

शैतानी शैतान की।

 नेताओं से बहुत दुखी है,

जनता हिन्दुस्तान की।।

 बड़े-बड़े नेता शामिल हैं,

घोटालों की थाली में।

 सूटकेश भर के चलते हैं,

अपने यहाँ दलाली में।।

 देश-धर्म की नहीं है चिंता,

चिन्ता निज सन्तान की।

 नेताओं से बहुत दुखी है,

जनता हिन्दुस्तान की।।

 चोर-लुटेरे भी अब देखो,

सांसद और विधायक हैं।

 सुरा-सुन्दरी के प्रेमी ये,

सचमुच के खलनायक हैं।।

 भिखमंगों में गिनती कर दी,

भारत देश महान की।

 नेताओं से बहुत दुखी है,

जनता हिन्दुस्तान की।।

 जनता के आवंटित धन को,

आधा मन्त्री खाते हैं।

 बाकी में अफसर-ठेकेदार,

मिलकर मौज उड़ाते हैं।।

 लूट-खसोट मचा रखी है,

सरकारी अनुदान की।

 नेताओं से बहुत दुखी है,

जनता हिन्दुस्तान की।।

 थर्ड क्लास अफसर बन जाता,

फर्स्ट क्लास चपरासी है।

 होशियार बच्चों के मन में,

छायी आज उदासी है।।

 गंवार सारे मंत्री बन गये,

मेधावी आज खलासी है।

 आओ बच्चों तुम्हें दिखायें,

शैतानी शैतान की।।

 नेताओं से बहुत दुखी है,.

जनता हिन्दुस्तान की।

Tuesday, July 5, 2016

ओक्का बोक्का

ओक्का बोक्का तीन तलोक्का,
फूट गयल बुढ़ऊ क हुक्का।
फगुआ कजरी कहाँ हेरायल,
अब त गांव क गांव चुड़ूक्का।।

नया जमाना नयके लोग,
नया नया कुल फईलल रोग।
एक्के बात समझ में आवै,
जइसन करनी वइसन भोग।।

नई नई कुल फइलल पूजा,
नया नया कुल देबी देवता।
एक्कै घर में पांच ठो चूल्हा,
एक्कै घरे में पांच ठो नेवता।।

नउआ कउआ बार बनउवा,
कवनो घरे न फरसा झऊआ।
लगे पितरपख होय खोजाई,
खोजले मिलें न कुक्कुर कउआ।।

एहर पक्का ओहर पक्का,
जेहर देखा ओहर पक्का।
गांव क माटी महक हेराइल,
अंकल कहा कहा मत कक्का।।

कहाँ गयल कुल बंजर ऊसर,
लगत बा जइसे गांव ई दूसर।
जब से ई धनकुट्टि आइल,
कउनो घरे न ओखरी मूसर।।

कहाँ बैल क घुंघरू घण्टी,
कहाँ बा पुरवट अऊर इनारा।
कहां गइल पनघट क गोरी,
सूना सूना पनघट सारा।।

शहर गांव के घीव खियावै,
दाल शहर से गांव में आवै।
शहरन में महके बिरियानी,
कलुआ खाली धान ओसावै।।

गांव गली में अब त खाली,
राजनीती पर होले चर्चा।
अब ऊ होरहा कहाँ भुजाला,
कहाँ पिसाला नीमक मरचा।।

कबो कबो सोंचीला भाई,
अब ऊ दिन ना लौट के आई।
अब ना वइसे कोयल बोलिहैं,
वइसे ना महकी अमराई।।

Monday, June 13, 2016

हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता,,


"रब" ने. नवाजा हमें. जिंदगी. देकर;

और. हम. "शौहरत" मांगते रह गये;

 

जिंदगी गुजार दी शौहरत. के पीछे;

फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये।

 

ये कफन , ये. जनाज़े, ये "कब्र" सिर्फ. बातें हैं. मेरे दोस्त,,,

वरना मर तो इंसान तभी जाता है जब याद करने वाला कोई ना. हो...!!

 

ये समंदर भी. तेरी तरह. खुदगर्ज़ निकला

ज़िंदा. थे. तो. तैरने. . दिया. और मर. गए तो डूबने. . दिया . . 

 

क्या. बात करे इस दुनिया. की 

"हर. शख्स. के अपने. अफसाने. हे"

 

जो सामने. हे. उसे लोग. बुरा कहते. हे

जिसको. देखा. नहीं उसे सब "खुदा". कहते. है....

Sunday, June 5, 2016

भजन की संपूर्ण विधि गीता और रामचरितमानस में सुरक्षित है।


आदरणीय भगवत् भक्तों

भजन की संपूर्ण विधि गीता और रामचरितमानस में सुरक्षित है।

 

भजन गोपनीय वस्तु है,

 

नाम जप भजन की शुरुआत है।

ठाढे, बैठे, पडे उताना नाम जपै सो परम सयाना।।

 

~~~~~ संत वाणी

 

भाव कुभाव अनख आलसहूं।

नाम जपत मंगल दिसि दसहूं।

~~ रामचरित मानस

 

यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ यज्ञ जप यज्ञ है।

 

~~भगवान श्री कृष्ण

 

कलयुग केवल नाम अधारा।

सुमिरि सुमिरि नर उतरहिं पारा।

~~~रामचरितमानस

 

अतः कोई दो ढाई अक्षर का नाम जपें।

ऊँ अथवा राम दोनों का मतलब एक है।

 

नाम चार श्रेणियों से जपा जाता है।

बैखरी, मध्यमा, पस्यंती और परा।

बैखरी जो ब्यक्त हो जाये।

हम जपें और बगल वाला भी सुने।

यह प्रथम अवस्था है।

 

माध्यमा में वोंठ हिलते है और जप चलता है।

👉पस्यंती में जबान का थोड़ा इशारा लगता है और जप जारी रहता है।

👇

परा वाणीं का जाप श्वांस पर होता है श्वांस आयी तो ओम गयी तो ओम नाम श्वांस में ढलने के पश्चात मंत्र का रूप ले लेता है।

और ध्यान की स्थिति जाती है।

ऐसे साधक में रिद्धि-सिद्धियों का आविर्भाव होने लगता है परंतु इनसे बचना है। यह हमारी मंजिल नहीं रिद्धि-सिद्धि भी साधन पथ में उतना ही बाधक है जैसे काम, क्रोध इत्यादि।
अतः अनुभवी गुरु की शरण नितांत आवश्यक है।

Friday, May 27, 2016

*"प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली"*

*"प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली"*

पानी में गुड डालिए,
बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए,
अच्छे हों हालात!!

धनिया की पत्ती मसल,
बूंद नैन में डार!
दुखती अँखियां ठीक हों,
पल लागे दो-चार!!

ऊर्जा मिलती है बहुत,
पिएं गुनगुना नीर!
कब्ज खतम हो पेट की,
मिट जाए हर पीर!!

प्रातः काल पानी पिएं,
घूंट-घूंट कर आप!
बस दो-तीन गिलास है,
हर औषधि का बाप!!

ठंडा पानी पियो मत,
करता क्रूर प्रहार!
करे हाजमे का सदा,
ये तो बंटाढार!!

भोजन करें धरती पर,
अल्थी पल्थी मार!
चबा-चबा कर खाइए,
वैद्य न झांकें द्वार!!

प्रातः काल फल रस लो,
दुपहर लस्सी-छांस!
सदा रात में दूध पी,
सभी रोग का नाश!!

दही उडद की दाल सँग,
पपीता दूध के संग!
जो खाएं इक साथ में,
जीवन हो बदरंग!!

प्रातः- दोपहर लीजिये,
जब नियमित आहार!                                                  तीस मिनट की नींद लो,
रोग न आवें द्वार!!

भोजन करके रात में,
घूमें कदम हजार!
डाक्टर, ओझा, वैद्य का ,
लुट जाए व्यापार !!

देश,भेष,मौसम यथा,
हो जैसा परिवेश!
वैसा भोजन कीजिये,
कहते सखा सुरेश!!

इन बातों को मान कर,
जो करता उत्कर्ष!
जीवन में पग-पग मिले,
उस प्राणी को हर्ष!!

घूट-घूट पानी पियो,
रह तनाव से दूर!
एसिडिटी, या मोटापा,
होवें चकनाचूर!!

अर्थराइज या हार्निया,
अपेंडिक्स का त्रास!
पानी पीजै बैठकर,
कभी न आवें पास!!

रक्तचाप बढने लगे,
तब मत सोचो भाय!
सौगंध राम की खाइ के,
तुरत छोड दो चाय!!

सुबह खाइये कुवंर-सा,
दुपहर यथा नरेश!
भोजन लीजै रात में,
जैसे रंक सुरेश!!

देर रात तक जागना,
रोगों का जंजाल!
अपच,आंख के रोग सँग,
तन भी रहे निढाल!!

टूथपेस्ट-ब्रश छोडकर,
हर दिन दोनो जून!
दांत करें मजबूत यदि,
करिएगा दातून!!

हल्दी तुरत लगाइए,
अगर काट ले श्वान!
खतम करे ये जहर को,
कह गए कवि सुजान!!

मिश्री, गुड, खांड,
ये हैं गुण की खान!
पर सफेद शक्कर सखा,
समझो जहर समान!!

चुंबक का उपयोग कर,
ये है दवा सटीक!
हड्डी टूटी हो अगर,
अल्प समय में ठीक!!

दर्द, घाव, फोडा, चुभन,
सूजन, चोट पिराइ!
बीस मिनट चुंबक धरौ,
पिरवा जाइ हेराइ!!

हँसना, रोना, छींकना,
भूख, प्यास या प्यार!
क्रोध, जम्हाई रोकना,
समझो बंटाढार!!

सत्तर रोगों कोे करे,
चूना हमसे दूर!
दूर करे ये बाझपन,
सुस्ती अपच हुजूर!!

यदि सरसों के तेल में,
पग नाखून डुबाय!
खुजली, लाली, जलन सब,
नैनों से गुमि जाय!!

भोजन करके जोहिए,
केवल घंटा डेढ!
पानी इसके बाद पी,
ये औषधि का पेड!!

जो भोजन के साथ ही,
पीता रहता नीर!
रोग एक सौ तीन हों,
फुट जाए तकदीर!!

पानी करके गुनगुना,
मेथी देव भिगाय!
सुबह चबाकर नीर पी,
रक्तचाप सुधराय!!

अलसी, तिल, नारियल,
घी सरसों का तेल!
यही खाइए नहीं तो,
हार्ट समझिए फेल!!

पहला स्थान सेंधा नमक,
पहाड़ी नमक सु जान!
श्वेत नमक है सागरी,
ये है जहर समान!!

तेल वनस्पति खाइके,
चर्बी लियो बढाइ!
घेरा कोलेस्टरॉल तो,
आज रहे चिल्लाइ!!

अल्यूमिन के पात्र का,
करता है जो उपयोग!
आमंत्रित करता सदा ,
वह अडतालीस रोग!!

फल या मीठा खाइके,
तुरत न पीजै नीर!
ये सब छोटी आंत में,
बनते विषधर तीर!!

चोकर खाने से सदा,
बढती तन की शक्ति!
गेहूँ मोटा पीसिए,
दिल में बढे विरक्ति!!

नींबू पानी का सदा,
करता जो उपयोग!
पास नहीं आते कभी,
यकृति-आंत के रोग!!

दूषित पानी जो पिए,
बिगडे उसका पेट!
ऐसे जल को समझिए,
सौ रोगों का गेट!!

रोज मुलहठी चूसिए,
कफ बाहर आ जाय!
बने सुरीला कंठ भी,
सबको लगत सुहाय!!

भोजन करके खाइए,
सौंफ,  गुड, अजवान!
पत्थर भी पच जायगा,
जानै सकल जहान!!

लौकी का रस पीजिए,
चोकर युक्त पिसान!
तुलसी, गुड, सेंधा नमक,
हृदय रोग निदान!!

हृदय रोग, खांसी और
आंव करें बदनाम!
दो अनार खाएं सदा,
बनते बिगडे काम!!

चैत्र माह में नीम की,
पत्ती हर दिन खावे !
ज्वर, डेंगू या मलेरिया,
बारह मील भगावे !!

सौ वर्षों तक वह जिए,
लेत नाक से सांस!
अल्पकाल जीवें, करें,
मुंह से श्वासोच्छ्वास!!

सितम, गर्म जल से कभी,
करिये मत स्नान!
घट जाता है आत्मबल,
नैनन को नुकसान!!

हृदय रोग से आपको,
बचना है श्रीमान!
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक,
का मत करिए पान!!

अगर नहावें गरम जल,
तन-मन हो कमजोर!
नयन ज्योति कमजोर हो,
शक्ति घटे चहुंओर!!

तुलसी का पत्ता करें,
यदि हरदम उपयोग!
मिट जाते हर उम्र में,
तन के सारे रोग!!
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