Monday, June 13, 2016

हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता,,


"रब" ने. नवाजा हमें. जिंदगी. देकर;

और. हम. "शौहरत" मांगते रह गये;

 

जिंदगी गुजार दी शौहरत. के पीछे;

फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये।

 

ये कफन , ये. जनाज़े, ये "कब्र" सिर्फ. बातें हैं. मेरे दोस्त,,,

वरना मर तो इंसान तभी जाता है जब याद करने वाला कोई ना. हो...!!

 

ये समंदर भी. तेरी तरह. खुदगर्ज़ निकला

ज़िंदा. थे. तो. तैरने. . दिया. और मर. गए तो डूबने. . दिया . . 

 

क्या. बात करे इस दुनिया. की 

"हर. शख्स. के अपने. अफसाने. हे"

 

जो सामने. हे. उसे लोग. बुरा कहते. हे

जिसको. देखा. नहीं उसे सब "खुदा". कहते. है....

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