सहारे टूट जाते हैं, सहारों का भरोसा क्या -२
तमन्नाएं जो तेरी हैं, फुहारें हैं ये सावन की -२
फुहारें सूख जाती हैं, फुहारों का भरोसा क्या -२
दिलासे जो जहां के हैं, सभी रंगीन बहारें हैं -२
बहारें रूठ जाती हैं, बहारों का भरोसा क्या -२
तूं इन फूले गुब्बारों पर, अरे दिल क्यों फ़िदा होता -२
गुब्बारे फूट जाते हैं, गुब्बारों का भरोसा क्या -२
तूं सम्बल नाम का लेकर, किनारों से किनारा कर -२
किनारे टूट जाते हैं, किनारों का भरोसा क्या -२
तूं अपनी अक्लमंदी पर, विचारों पर ना इतराना -२
जो लहरों की तरह चंचल, विचारों का भरोसा क्या -२
परम प्रभु की शरण लेकर, विकारों से सजग रहना -२
कहाँ कब मन बिगड़ जाए, विकारों का भरोसा क्या -२