मनसा चिन्तितंकार्यं
वचसा न प्रकाशयेत्।
अन्यलक्षितकार्यस्य
यत: सिद्धिर्न जायते॥
*भावार्थः- मन से सोचे हुए कार्य को वाणी से न बताए एवं अपने लक्ष्य के लिए निरंतर अथक प्रयास करते रहें क्योंकि जिस कार्य पर किसी और की दृष्टि लग जाती है, वह सामान्यतः पूर्ण नहीं होता।*
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